१८५७ का स्वातंत्र्य समर विनायक दामोदर सावरकर द्वारा लिखी गई एक ऐतिहासिक पुस्तक है, जिसमें उन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को भारतीय इतिहास का पहला संगठित विद्रोह बताया है। सावरकर ने इस पुस्तक में ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों के संघर्ष को विस्तार से प्रस्तुत किया है, जिसमें भारतीय वीरता, संघर्ष, और स्वाधीनता की भावना को प्रमुखता दी है। यह पुस्तक न केवल 1857 के समर की ऐतिहासिक घटनाओं का विश्लेषण करती है, बल्कि इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय मानते हुए इसे राष्ट्रीय जागरूकता और एकता का प्रतीक बनाती है।
1857 Ka svatantrya samara
₹500.00Price
विनायक दमोधार सावरकर
