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भारतीय इतिहास का विकृतिकरण रघुनाथ प्रसाद शर्मा द्वारा लिखित एक शोधपरक पुस्तक है, जो भारत के इतिहास को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किए जाने, उसके वास्तविक स्वरूप को बदलने और औपनिवेशिक व वैचारिक पूर्वाग्रहों के तहत इतिहास लेखन में किए गए विकृतिकरण पर प्रकाश डालती है। लेखक ने यह विश्लेषण किया है कि कैसे विदेशी शासकों, विचारधारात्मक इतिहासकारों और राजनैतिक उद्देश्यों ने भारतीय इतिहास को प्रभावित किया, और इसकी वास्तविक विरासत को धूमिल करने का प्रयास किया गया। यह पुस्तक इतिहास के सत्य को समझने और भारत के गौरवशाली अतीत को सही परिप्रेक्ष्य में देखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

Bhartiya Itihas ka vikrutikaran

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  • Ragunath Prasad Sharma

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राष्ट्रीय विचारांचा प्रचार आणि प्रसार या उद्देशाने शके १८९८, सन १९७६ मध्ये प्रकाशन संस्थेची स्थापना करण्यात आली. बालसाहित्य, संस्कारक्षम पुस्तके, सामाजिक, राष्ट्रीय, विज्ञान, शेती, पर्यावरण, योग, आरोग्य, संतसाहित्य, अर्थकारण, समरसता, चरित्रे,  कुटुंब प्रबोधन इत्यादी विषयावरील सुमारे ६५० ग्रंथ  आजवर भाविसाने प्रकाशित केले आहेत.

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