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चरित्र निर्माण से राष्ट्र निर्माण डॉ. मोहन भागवत द्वारा लिखित एक प्रेरणादायक पुस्तक है, जो व्यक्तिगत चरित्र के महत्व को समझाते हुए राष्ट्र निर्माण की दिशा में इसे आवश्यक मानती है। इस पुस्तक में डॉ. भागवत ने यह सिद्धांत प्रस्तुत किया है कि जब प्रत्येक व्यक्ति का चरित्र मजबूत और आदर्श होगा, तभी समाज और राष्ट्र का समग्र विकास संभव होगा। उन्होंने बताया कि राष्ट्र की प्रगति के लिए हर नागरिक को नैतिकता, संस्कार और जिम्मेदारी के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। यह पुस्तक व्यक्तित्व विकास और राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरणा देने वाली एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शिका है।

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  • डॉ. मोहन भागवत 

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राष्ट्रीय विचारांचा प्रचार आणि प्रसार या उद्देशाने शके १८९८, सन १९७६ मध्ये प्रकाशन संस्थेची स्थापना करण्यात आली. बालसाहित्य, संस्कारक्षम पुस्तके, सामाजिक, राष्ट्रीय, विज्ञान, शेती, पर्यावरण, योग, आरोग्य, संतसाहित्य, अर्थकारण, समरसता, चरित्रे,  कुटुंब प्रबोधन इत्यादी विषयावरील सुमारे ६५० ग्रंथ  आजवर भाविसाने प्रकाशित केले आहेत.

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