**धर्म की अवधारणा** *रंगा हरी* द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जो भारतीय संस्कृति और समाज में धर्म की वास्तविक परिभाषा और उसके महत्व पर प्रकाश डालती है। इस पुस्तक में लेखक ने धर्म को केवल धार्मिक परंपराओं और रीति-रिवाजों से परे जाकर एक व्यापक दृष्टिकोण से समझाया है। धर्म का संबंध जीवन के मूल्यों, नैतिकता, और समाज के साथ एक सशक्त संबंध स्थापित करने से है, जो व्यक्ति को आत्मसाक्षात्कार और समाज के उत्थान के मार्ग पर ले जाता है।
रंगा हरी ने इस पुस्तक में भारतीय धर्म की विविधता, उसकी पद्धतियों, और उसमें निहित स्थायित्व के सिद्धांतों पर विचार किया है। उन्होंने धर्म को जीवन के हर पहलू में अनुप्राणित करने की आवश्यकता और उसके समाज में उत्थान के लिए किए गए योगदान को भी बताया है। यह पुस्तक धर्म की गहरी समझ और इसके प्रभाव को समाज में स्थापित करने के लिए एक आदर्श मार्गदर्शिका है।
dharm kee avadhaarana
रंगा हरी
