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हमारी राष्ट्रीयता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पुस्तक मोहन भागवत द्वारा लिखी गई है, जिसमें उन्होंने भारत की राष्ट्रीयता, उसकी संस्कृति और परंपराओं के महत्व को विस्तार से समझाया है। इस पुस्तक में भागवत जी ने भारतीय राष्ट्रीयता के सिद्धांतों को रेखांकित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के दृष्टिकोण और उद्देश्य को स्पष्ट किया है। उनका मानना है कि भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़ी राष्ट्रीयता ही समाज की एकता और अखंडता को बनाए रखने का सबसे मजबूत आधार है। इसके अलावा, पुस्तक में संघ के कार्यों, इसके समाज सेवा के अभियानों और भारतीय समाज में इसके योगदान पर भी चर्चा की गई है। यह पुस्तक भारतीय समाज को एकजुट करने और देश की राष्ट्रीयता को मजबूत करने के लिए प्रेरित करती है।

hamaaree raashtreeyata aur raashtreey svayansevak sangh

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  • मोहन भागवत 

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राष्ट्रीय विचारांचा प्रचार आणि प्रसार या उद्देशाने शके १८९८, सन १९७६ मध्ये प्रकाशन संस्थेची स्थापना करण्यात आली. बालसाहित्य, संस्कारक्षम पुस्तके, सामाजिक, राष्ट्रीय, विज्ञान, शेती, पर्यावरण, योग, आरोग्य, संतसाहित्य, अर्थकारण, समरसता, चरित्रे,  कुटुंब प्रबोधन इत्यादी विषयावरील सुमारे ६५० ग्रंथ  आजवर भाविसाने प्रकाशित केले आहेत.

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