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मारो फिरंगी को १८५७ एक संकलन है, जो 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, जिसे भारतीय इतिहास में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के रूप में जाना जाता है, की घटनाओं और महत्त्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करता है। इस पुस्तक में विशेष रूप से ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भारतीय जनता द्वारा उठाए गए संघर्ष, वीरता और बलिदान की कहानियाँ प्रस्तुत की गई हैं। मारो फिरंगी को १८५७ में इस महान संघर्ष की कड़ी में भाग लेने वाले वीर स्वतंत्रता सेनानियों जैसे माणिक शाही, रानी झाँसी, बख्त खान, और अन्य महान नेताओं का संघर्ष और समर्पण भी वर्णित किया गया है। इस संकलन के माध्यम से पाठकों को 1857 के क्रांतिकारी आंदोलन की ऐतिहासिक महत्ता, उसकी प्रेरणास्पद घटनाओं और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत की गहरी समझ मिलती है। यह पुस्तक भारतीय इतिहास की महानता और संघर्ष के प्रतीक के रूप में प्रेरणा प्रदान करती है।

maaro phirangee ko 1857

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राष्ट्रीय विचारांचा प्रचार आणि प्रसार या उद्देशाने शके १८९८, सन १९७६ मध्ये प्रकाशन संस्थेची स्थापना करण्यात आली. बालसाहित्य, संस्कारक्षम पुस्तके, सामाजिक, राष्ट्रीय, विज्ञान, शेती, पर्यावरण, योग, आरोग्य, संतसाहित्य, अर्थकारण, समरसता, चरित्रे,  कुटुंब प्रबोधन इत्यादी विषयावरील सुमारे ६५० ग्रंथ  आजवर भाविसाने प्रकाशित केले आहेत.

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