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  महापुरुष कहते हैं हिंदू-मुस्लिम एकता केवल भ्रम है – संकलन    

यह संकलन   हिंदू-मुस्लिम एकता के बारे में महापुरुषों द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं पर आधारित है।   संकलन में   कुछ प्रमुख ऐतिहासिक और सामाजिक हस्तियों के विचारों का संकलन किया गया है  , जिन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता को एक प्रकार का भ्रम और असंभवता बताया है। पुस्तक में   भारत के सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में हिंदू-मुस्लिम एकता की जटिलता   को समझाने का प्रयास किया गया है। इसमें   महापुरुषों के दृष्टिकोण का विश्लेषण   किया गया है, जिन्होंने समाज के विभिन्न पक्षों को ध्यान में रखते हुए यह माना कि यह एकता केवल एक आदर्श हो सकता है, वास्तविकता नहीं। संकलन में   हिंदू-मुस्लिम संबंधों के इतिहास, संघर्ष और सांप्रदायिक राजनीति पर गहन विचार   किया गया है। यह पुस्तक   वाचकों को समाज में सामूहिक एकता और संघर्ष के पहलुओं पर सोचने के लिए प्रेरित करती है।  

Mahapurush kahate hai hindu-muslim ekata keval bhram hai

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राष्ट्रीय विचारांचा प्रचार आणि प्रसार या उद्देशाने शके १८९८, सन १९७६ मध्ये प्रकाशन संस्थेची स्थापना करण्यात आली. बालसाहित्य, संस्कारक्षम पुस्तके, सामाजिक, राष्ट्रीय, विज्ञान, शेती, पर्यावरण, योग, आरोग्य, संतसाहित्य, अर्थकारण, समरसता, चरित्रे,  कुटुंब प्रबोधन इत्यादी विषयावरील सुमारे ६५० ग्रंथ  आजवर भाविसाने प्रकाशित केले आहेत.

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