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मै दीनदयाळ उपाध्याय बोल रहा हूँ अमरजीत सिंह द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जो पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन, उनके विचारों और उनके योगदानों को समर्पित है। इस पुस्तक में लेखक ने दीनदयाल उपाध्याय की विचारधारा, उनके दर्शन और भारतीय समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को विस्तार से प्रस्तुत किया है। पुस्तक में उपाध्याय जी के इंटेग्रल ह्यूमैनिज़म और भारतीय संस्कृति के महत्व पर चर्चा की गई है, जो उनकी राजनीतिक दृष्टिकोण और समाज की दिशा को प्रभावित करते थे। यह पुस्तक उनके जीवन के आदर्शों को समझने और भारतीय राजनीति में उनके योगदान को सराहने का एक शानदार प्रयास है।

mai deenadayaal upaadhyaay bol raha hoo

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  • Amarjit Singh

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राष्ट्रीय विचारांचा प्रचार आणि प्रसार या उद्देशाने शके १८९८, सन १९७६ मध्ये प्रकाशन संस्थेची स्थापना करण्यात आली. बालसाहित्य, संस्कारक्षम पुस्तके, सामाजिक, राष्ट्रीय, विज्ञान, शेती, पर्यावरण, योग, आरोग्य, संतसाहित्य, अर्थकारण, समरसता, चरित्रे,  कुटुंब प्रबोधन इत्यादी विषयावरील सुमारे ६५० ग्रंथ  आजवर भाविसाने प्रकाशित केले आहेत.

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