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श्री गुरुजी समग्र १२ खंड एक व्यापक संकलन है, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक, श्री गुरुजी (गोलवलकर जी) के विचार, भाषण, लेख और प्रेरणादायक योगदान को संकलित किया गया है। इस १२ खंडों के संकलन में उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं, संघ के प्रति उनकी दृष्टि, और भारतीयमनोरंजक गणित एक संकलन है जो गणित को एक रोचक और मजेदार तरीके से प्रस्तुत करता है। यह पुस्तक गणित के विभिन्न सिद्धांतों, समस्याओं, और पहेलियों को एक दिलचस्प तरीके से प्रस्तुत करती है, जिससे गणित की जटिलताओं को सरल और समझने में आसान बनाया जा सके। इसमें गणित के मजेदार खेल, गणना के तरीके, गिनती की पहेलियां, गणितीय उलझनें और तर्कशक्ति से संबंधित अभ्यासों का समावेश किया गया है। इसका उद्देश्य गणित को विद्यार्थियों और सामान्य पाठकों के लिए एक दुरूह विषय से ज्यादा आकर्षक और मनोरंजक बनाना है। यह पुस्तक न केवल गणित के सिद्धांतों को समझने में मदद करती है, बल्कि पाठकों को तर्कशक्ति और समस्या हल करने की क्षमता में भी सुधार लाने में सहायक होती है। समाज, संस्कृति तथा राष्ट्रीयता के विषय में उनके विचारों को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है। श्री गुरुजी ने समाज में एकजुटता, स्वदेशी और हिंदुत्व की अवधारणा को प्रोत्साहित किया। उनका योगदान भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद को समझने में महत्वपूर्ण था। यह संकलन न केवल श्री गुरुजी के विचारों को जीवित रखता है, बल्कि उनके योगदान को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण कार्य भी करता है।

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राष्ट्रीय विचारांचा प्रचार आणि प्रसार या उद्देशाने शके १८९८, सन १९७६ मध्ये प्रकाशन संस्थेची स्थापना करण्यात आली. बालसाहित्य, संस्कारक्षम पुस्तके, सामाजिक, राष्ट्रीय, विज्ञान, शेती, पर्यावरण, योग, आरोग्य, संतसाहित्य, अर्थकारण, समरसता, चरित्रे,  कुटुंब प्रबोधन इत्यादी विषयावरील सुमारे ६५० ग्रंथ  आजवर भाविसाने प्रकाशित केले आहेत.

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