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मणुस्मृति और डॉ. आंबेडकर एक महत्वपूर्ण संकलन है, जो मणुस्मृति के विचारों और डॉ. भीमराव आंबेडकर द्वारा उनके प्रति की गई आलोचनाओं पर आधारित है। यह संकलन मणुस्मृति के समाजिक दृष्टिकोण, जातिवाद और असमानता की अवधारणाओं को खंडित करने के लिए डॉ. आंबेडकर के दृष्टिकोण का विश्लेषण करता है। डॉ. आंबेडकर ने मणुस्मृति को भारतीय समाज में जातिवाद और असमानता को बढ़ावा देने वाला माना था, और उन्होंने इसे सार्वजनिक रूप से जलाया था। इस संकलन में आंबेडकर के समाज सुधारक दृष्टिकोण, उनके आंदोलन और भारतीय समाज में समानता की दिशा में उनके योगदान को दर्शाया गया है। यह पुस्तक मणुस्मृति और आंबेडकर के विचारों के बीच के भेद को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ प्रदान करती है।

Manusmrti aur do. aambedakar

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राष्ट्रीय विचारांचा प्रचार आणि प्रसार या उद्देशाने शके १८९८, सन १९७६ मध्ये प्रकाशन संस्थेची स्थापना करण्यात आली. बालसाहित्य, संस्कारक्षम पुस्तके, सामाजिक, राष्ट्रीय, विज्ञान, शेती, पर्यावरण, योग, आरोग्य, संतसाहित्य, अर्थकारण, समरसता, चरित्रे,  कुटुंब प्रबोधन इत्यादी विषयावरील सुमारे ६५० ग्रंथ  आजवर भाविसाने प्रकाशित केले आहेत.

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