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मैक्समूलर द्वारा वेदों का विकृतिकरण डॉ. के.वी. पालीवाल द्वारा लिखित एक शोधपरक पुस्तक है, जो विख्यात जर्मन विद्वान मैक्समूलर द्वारा वेदों की व्याख्या और उसके विकृतिकरण पर प्रकाश डालती है। लेखक ने तर्कसंगत ढंग से यह विश्लेषण किया है कि कैसे मैक्समूलर ने औपनिवेशिक उद्देश्यों के तहत वेदों की गलत व्याख्या की और भारतीय संस्कृति व परंपराओं को प्रभावित करने का प्रयास किया। यह पुस्तक भारतीय वैदिक ज्ञान की वास्तविकता को समझने और पश्चिमी दृष्टिकोण से किए गए इसके तोड़-मरोड़कर प्रस्तुतिकरण को उजागर करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

Maxmular dvara vedon ko vikrutikaran

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राष्ट्रीय विचारांचा प्रचार आणि प्रसार या उद्देशाने शके १८९८, सन १९७६ मध्ये प्रकाशन संस्थेची स्थापना करण्यात आली. बालसाहित्य, संस्कारक्षम पुस्तके, सामाजिक, राष्ट्रीय, विज्ञान, शेती, पर्यावरण, योग, आरोग्य, संतसाहित्य, अर्थकारण, समरसता, चरित्रे,  कुटुंब प्रबोधन इत्यादी विषयावरील सुमारे ६५० ग्रंथ  आजवर भाविसाने प्रकाशित केले आहेत.

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