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परिवार बने पाठशाला मुकुल कानिटकर द्वारा लिखित एक प्रेरणादायक पुस्तक है, जो परिवार के महत्व और उसकी भूमिका को उजागर करती है। इस पुस्तक में लेखक ने यह बताया है कि परिवार केवल एक सामाजिक इकाई नहीं, बल्कि यह एक आदर्श पाठशाला है, जहाँ व्यक्ति के प्रारंभिक जीवन के मूल्य, संस्कार, और शिक्षा का गठन होता है। लेखक का मानना है कि परिवार में बच्चों को जो मूलभूत शिक्षा और संस्कार मिलते हैं, वही उन्हें जीवन में सफलता और नैतिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। पुस्तक में परिवार को एक ऐसे शिक्षण संस्थान के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो समाज के हर सदस्य के चरित्र और जीवन दृष्टिकोण को आकार देता है। यह पुस्तक परिवार के महत्व को समझने और उसे एक बेहतर शिक्षण वातावरण बनाने के लिए प्रेरित करती है।

parivaar bane paathashaala

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  • Mukul Kanitkar

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राष्ट्रीय विचारांचा प्रचार आणि प्रसार या उद्देशाने शके १८९८, सन १९७६ मध्ये प्रकाशन संस्थेची स्थापना करण्यात आली. बालसाहित्य, संस्कारक्षम पुस्तके, सामाजिक, राष्ट्रीय, विज्ञान, शेती, पर्यावरण, योग, आरोग्य, संतसाहित्य, अर्थकारण, समरसता, चरित्रे,  कुटुंब प्रबोधन इत्यादी विषयावरील सुमारे ६५० ग्रंथ  आजवर भाविसाने प्रकाशित केले आहेत.

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