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राष्ट्र, धर्म और संस्कृति संकलन है, जिसे प्रो. हनुमान प्रसाद शुक्ल ने संकलित किया है। यह पुस्तक भारत के राष्ट्र, धर्म और संस्कृति की गहरी समझ को उजागर करती है। इसमें भारतीय सभ्यता के मूल तत्वों, धार्मिक मूल्यों और राष्ट्रीय एकता के महत्व को विस्तार से बताया गया है। लेखक ने धर्म, संस्कृति और राष्ट्र के आपसी संबंधों को समझाने का प्रयास किया है और यह बताया है कि भारतीय संस्कृति में धर्म और राष्ट्र का गहरा संबंध है, जो भारतीय समाज की एकता और अखंडता की नींव है। इस पुस्तक के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि भारत की संस्कृति और धर्म को समझकर ही राष्ट्र की सशक्तीकरण की दिशा में कदम बढ़ाए जा सकते हैं।

raashtr, dharm aur sanskrtee

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  • सं. प्रो. हनुमाणप्रसाद  शुक्ल 

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राष्ट्रीय विचारांचा प्रचार आणि प्रसार या उद्देशाने शके १८९८, सन १९७६ मध्ये प्रकाशन संस्थेची स्थापना करण्यात आली. बालसाहित्य, संस्कारक्षम पुस्तके, सामाजिक, राष्ट्रीय, विज्ञान, शेती, पर्यावरण, योग, आरोग्य, संतसाहित्य, अर्थकारण, समरसता, चरित्रे,  कुटुंब प्रबोधन इत्यादी विषयावरील सुमारे ६५० ग्रंथ  आजवर भाविसाने प्रकाशित केले आहेत.

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