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सामाजिक समरसता - समता द. बा. ठेंगडी द्वारा लिखित एक पुस्तक है, जो समाज में समानता और समरसता की अवधारणा को समझाती है। इस पुस्तक में ठेंगडी जी ने भारतीय समाज में जातिवाद, भेदभाव और सामाजिक असमानता को समाप्त करने के लिए विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने समाज के प्रत्येक वर्ग को समान अवसर और अधिकार देने के महत्व पर जोर दिया है, ताकि समाज में सामंजस्य और एकता कायम हो सके। यह पुस्तक सामाजिक समरसता के सिद्धांतों को समझने और उसे व्यवहार में लाने के लिए एक मार्गदर्शिका है, जो समाज के समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Samajik samarsata- samata

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  • द. बा. ठेंगडी 

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राष्ट्रीय विचारांचा प्रचार आणि प्रसार या उद्देशाने शके १८९८, सन १९७६ मध्ये प्रकाशन संस्थेची स्थापना करण्यात आली. बालसाहित्य, संस्कारक्षम पुस्तके, सामाजिक, राष्ट्रीय, विज्ञान, शेती, पर्यावरण, योग, आरोग्य, संतसाहित्य, अर्थकारण, समरसता, चरित्रे,  कुटुंब प्रबोधन इत्यादी विषयावरील सुमारे ६५० ग्रंथ  आजवर भाविसाने प्रकाशित केले आहेत.

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