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सामाजिक समता और संघ डॉ. मोहन भागवत द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जो समाज में समानता और एकता की आवश्यकता पर जोर देती है। इस पुस्तक में डॉ. भागवत ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दृष्टिकोण से सामाजिक समता, जातिवाद, और भेदभाव को समाप्त करने के उपायों पर चर्चा की है। उन्होंने समाज में समरसता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देने के लिए संघ के सिद्धांतों का महत्व बताया है। यह पुस्तक समाज में समान अधिकार, सम्मान और अवसर प्रदान करने की दिशा में मार्गदर्शन करने वाली है, जिससे सामाजिक समरसता स्थापित हो सके।

Samajik samata ani sangha

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  • डॉ.मोहन भागवत

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राष्ट्रीय विचारांचा प्रचार आणि प्रसार या उद्देशाने शके १८९८, सन १९७६ मध्ये प्रकाशन संस्थेची स्थापना करण्यात आली. बालसाहित्य, संस्कारक्षम पुस्तके, सामाजिक, राष्ट्रीय, विज्ञान, शेती, पर्यावरण, योग, आरोग्य, संतसाहित्य, अर्थकारण, समरसता, चरित्रे,  कुटुंब प्रबोधन इत्यादी विषयावरील सुमारे ६५० ग्रंथ  आजवर भाविसाने प्रकाशित केले आहेत.

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