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शिक्षा के माध्यम से धर्म तथा सेवा की संकल्पना एक प्रेरणादायक संकलन है, जो शिक्षा के माध्यम से धर्म, सेवा और समाज की भलाई के विचारों को प्रस्तुत करता है। इस पुस्तक में लेखक ने यह दर्शाया है कि शिक्षा केवल ज्ञान अर्जन का साधन नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति को अपने धर्म और समाज के प्रति जिम्मेदारी और सेवा का एहसास भी कराती है। शिक्षा का उद्देश्य न केवल बौद्धिक विकास है, बल्कि यह व्यक्ति को एक बेहतर इंसान बनाने के लिए उसकी मानसिकता, आचार-विचार और कार्यों को दिशा प्रदान करती है। पुस्तक में धर्म और सेवा के वास्तविक अर्थ को समझाया गया है, और यह बताया गया है कि किस तरह शिक्षा इन दोनों तत्वों को व्यक्ति के जीवन में लागू कर सकती है। यह संकलन समाज में सकारात्मक बदलाव लाने और समग्र मानवता की सेवा के लिए प्रेरित करता है।

shiksha ke maadhyam se dharm tatha seva kee sankalpana

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राष्ट्रीय विचारांचा प्रचार आणि प्रसार या उद्देशाने शके १८९८, सन १९७६ मध्ये प्रकाशन संस्थेची स्थापना करण्यात आली. बालसाहित्य, संस्कारक्षम पुस्तके, सामाजिक, राष्ट्रीय, विज्ञान, शेती, पर्यावरण, योग, आरोग्य, संतसाहित्य, अर्थकारण, समरसता, चरित्रे,  कुटुंब प्रबोधन इत्यादी विषयावरील सुमारे ६५० ग्रंथ  आजवर भाविसाने प्रकाशित केले आहेत.

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