शोधकर्ता कार्यकर्ता मुकुल कानिटकर द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जो जीवन में शोध और कार्य को समान महत्व देने का संदेश देती है। इस पुस्तक में लेखक ने यह दिखाया है कि एक शोधकर्ता केवल ज्ञान प्राप्त करने तक सीमित नहीं होता, बल्कि उसे समाज में कार्यकर्ता के रूप में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। यह पुस्तक कार्यकर्ता और शोधकर्ता के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर जोर देती है, ताकि एक व्यक्ति न केवल विचारों और सिद्धांतों को समझे, बल्कि उन्हें समाज में लागू भी करे। मुकुल कानिटकर ने इस पुस्तक में यह भी बताया है कि शोध केवल अकादमिक क्षेत्र तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि उसका उद्देश्य समाज की बेहतरी और राष्ट्र निर्माण में योगदान करना होना चाहिए।
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Mukul Kanitkar
