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स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर सदानंद सप्रे द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और देश की राजनीतिक यात्रा पर आधारित है। इस पुस्तक में सप्रे ने स्वाधीनता प्राप्ति के बाद देश की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिति पर विचार किया है। उन्होंने बताया कि स्वाधीनता प्राप्त करने के बाद वास्तविक स्वतंत्रता का अर्थ केवल राजनीतिक सत्ता में नहीं, बल्कि समाज में समानता, न्याय और आर्थिक समृद्धि की स्थापना में है। यह पुस्तक स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष और उसके बाद की चुनौतियों को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जो पाठकों को राष्ट्र की वास्तविक स्वतंत्रता की ओर आगे बढ़ने की दिशा में प्रेरित करती है।

Swadhinata se swatantrya ki aur

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  • सदानंद सप्रे 

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राष्ट्रीय विचारांचा प्रचार आणि प्रसार या उद्देशाने शके १८९८, सन १९७६ मध्ये प्रकाशन संस्थेची स्थापना करण्यात आली. बालसाहित्य, संस्कारक्षम पुस्तके, सामाजिक, राष्ट्रीय, विज्ञान, शेती, पर्यावरण, योग, आरोग्य, संतसाहित्य, अर्थकारण, समरसता, चरित्रे,  कुटुंब प्रबोधन इत्यादी विषयावरील सुमारे ६५० ग्रंथ  आजवर भाविसाने प्रकाशित केले आहेत.

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