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  स्वातंत्र्य संग्राम में जनजातीयों का योगदान – संकलन    

यह संकलन   भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समुदायों के योगदान पर आधारित है।   इस संकलन में   भारत के विभिन्न हिस्सों में आदिवासी समाज ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ किए गए संघर्षों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।   आदिवासी समाज ने   स्वतंत्रता संग्राम में अपने साहस, बलिदान और संघर्ष के माध्यम से एक अद्वितीय योगदान दिया,   जिसका इतिहास में समुचित उल्लेख नहीं किया गया। संकलन में   जनजातीय नेताओं और उनकी महत्वपूर्ण भूमिकाओं का वर्णन किया गया है, जैसे कि वे कैसे स्थानीय स्तर पर ब्रिटिश शासन के खिलाफ उठ खड़े हुए।   यह संकलन   स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समुदायों के योगदान की अनदेखी की गई गाथाओं को उजागर करता है,   और उनके संघर्ष को राष्ट्रीय इतिहास में सही स्थान दिलाने का प्रयास करता है।

swatantrata sangram mein janjatiyon ka yogadan

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राष्ट्रीय विचारांचा प्रचार आणि प्रसार या उद्देशाने शके १८९८, सन १९७६ मध्ये प्रकाशन संस्थेची स्थापना करण्यात आली. बालसाहित्य, संस्कारक्षम पुस्तके, सामाजिक, राष्ट्रीय, विज्ञान, शेती, पर्यावरण, योग, आरोग्य, संतसाहित्य, अर्थकारण, समरसता, चरित्रे,  कुटुंब प्रबोधन इत्यादी विषयावरील सुमारे ६५० ग्रंथ  आजवर भाविसाने प्रकाशित केले आहेत.

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