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वैश्विक षड्यंत्र व जनजाति - भारत का अस्तित्व लक्ष्मण राज सिंह मरकाम 'लक्ष्य' द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जो भारत की जनजातियों और उनके सांस्कृतिक, सामाजिक व राजनीतिक अस्तित्व पर वैश्विक षड्यंत्रों के प्रभाव का विश्लेषण करती है।  

यह पुस्तक आदिवासी समुदायों की परंपराओं, उनकी स्वायत्तता, बाहरी शक्तियों द्वारा किए जा रहे हस्तक्षेप और भारत की एकता पर मंडरा रहे खतरों को उजागर करती है। लेखक ने ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और समकालीन चुनौतियों को जोड़ते हुए, जनजातीय समाज की रक्षा और सशक्तिकरण** की आवश्यकता पर बल दिया है।

Vaishvik shadyantra va janajaati - bharat ka aastitva

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  • Lakshman raj singh markam laksh

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राष्ट्रीय विचारांचा प्रचार आणि प्रसार या उद्देशाने शके १८९८, सन १९७६ मध्ये प्रकाशन संस्थेची स्थापना करण्यात आली. बालसाहित्य, संस्कारक्षम पुस्तके, सामाजिक, राष्ट्रीय, विज्ञान, शेती, पर्यावरण, योग, आरोग्य, संतसाहित्य, अर्थकारण, समरसता, चरित्रे,  कुटुंब प्रबोधन इत्यादी विषयावरील सुमारे ६५० ग्रंथ  आजवर भाविसाने प्रकाशित केले आहेत.

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