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वे पंद्रह दिन लेखक प्रशांत पोल की एक दिलचस्प और प्रेरणादायक पुस्तक है, जो भारतीय समाज और संस्कृति के महत्वपूर्ण पहलुओं को प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक उन पंद्रह दिनों की कहानी को उजागर करती है, जो किसी विशेष घटनाक्रम से जुड़े होते हैं, और इसमें उन घटनाओं की गहराई से चर्चा की जाती है, जो एक व्यक्ति या समाज के जीवन को प्रभावित करती हैं। लेखक ने इस पुस्तक में मानसिक, शारीरिक और सामाजिक संघर्षों के बीच बुराई और अच्छाई, सही और गलत के बीच के अंतर को महसूस करने का प्रयास किया है। यह पुस्तक मानव जीवन में घटने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं और उनके प्रभावों को समझने का एक अनूठा दृष्टिकोण प्रदान करती है।

ve pandaraah din

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  • प्रशांत पोल 

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राष्ट्रीय विचारांचा प्रचार आणि प्रसार या उद्देशाने शके १८९८, सन १९७६ मध्ये प्रकाशन संस्थेची स्थापना करण्यात आली. बालसाहित्य, संस्कारक्षम पुस्तके, सामाजिक, राष्ट्रीय, विज्ञान, शेती, पर्यावरण, योग, आरोग्य, संतसाहित्य, अर्थकारण, समरसता, चरित्रे,  कुटुंब प्रबोधन इत्यादी विषयावरील सुमारे ६५० ग्रंथ  आजवर भाविसाने प्रकाशित केले आहेत.

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