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विनाशपर्व प्रशांत पोल द्वारा लिखित एक पुस्तक है जो भारतीय समाज और संस्कृति में आ रही चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करती है। यह पुस्तक विशेष रूप से देश के भीतर हो रहे सांस्कृतिक, राजनीतिक और सामाजिक संकटों की ओर इशारा करती है, जो भारतीय समाज को कमजोर बना सकते हैं। लेखक ने इसमें विभिन्न परिस्थितियों और घटनाओं का विश्लेषण किया है, जो समाज में विघटन, असहमति और आतंकवाद जैसे समस्याओं को बढ़ावा देती हैं। पुस्तक में विनाश के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है और यह पाठकों को यह समझने का प्रयास करती है कि देश और समाज में सुधार की आवश्यकता क्यों है। यह समाज के भीतर व्याप्त गलत धारणाओं, भ्रामक विचारधाराओं और बाहरी ताकतों के प्रभावों को उजागर करती है।

Vinashparva

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  • प्रशांत पोल 

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राष्ट्रीय विचारांचा प्रचार आणि प्रसार या उद्देशाने शके १८९८, सन १९७६ मध्ये प्रकाशन संस्थेची स्थापना करण्यात आली. बालसाहित्य, संस्कारक्षम पुस्तके, सामाजिक, राष्ट्रीय, विज्ञान, शेती, पर्यावरण, योग, आरोग्य, संतसाहित्य, अर्थकारण, समरसता, चरित्रे,  कुटुंब प्रबोधन इत्यादी विषयावरील सुमारे ६५० ग्रंथ  आजवर भाविसाने प्रकाशित केले आहेत.

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