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विवेकानंद की आत्मकथा स्वामी विवेकानंद द्वारा लिखी गई एक प्रेरणादायी और आत्मीय पुस्तक है, जिसमें स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन के संघर्षों, साधनाओं और विचारों का सुंदर रूप में वर्णन किया है। इस आत्मकथा में वे अपने बचपन, शिक्षा, गुरु रामकृष्ण परमहंस से मिले प्रभाव और भारतीय समाज के सुधार के लिए किए गए प्रयासों का उल्लेख करते हैं। स्वामी विवेकानंद ने अपनी जीवन यात्रा में प्राप्त आध्यात्मिक अनुभवों और ज्ञान को साझा करते हुए भारतीय संस्कृति, धर्म और जीवनदृष्टि के महत्व को समझाया है। यह पुस्तक न केवल उनकी व्यक्तिगत यात्रा को प्रस्तुत करती है, बल्कि भारतीय समाज के लिए उनके दृष्टिकोण और योगदान को भी उजागर करती है। यह पुस्तक पाठकों को आत्मसाक्षात्कार, प्रेरणा और समाज में सकारात्मक बदलाव के लिए प्रोत्साहित करती है।

Vivekananda ki aathmakatha

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  • स्वामी विवेकानंद 

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राष्ट्रीय विचारांचा प्रचार आणि प्रसार या उद्देशाने शके १८९८, सन १९७६ मध्ये प्रकाशन संस्थेची स्थापना करण्यात आली. बालसाहित्य, संस्कारक्षम पुस्तके, सामाजिक, राष्ट्रीय, विज्ञान, शेती, पर्यावरण, योग, आरोग्य, संतसाहित्य, अर्थकारण, समरसता, चरित्रे,  कुटुंब प्रबोधन इत्यादी विषयावरील सुमारे ६५० ग्रंथ  आजवर भाविसाने प्रकाशित केले आहेत.

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