योग - एक सामाजिक अनिवार्यता हो.वे. शेषाद्रि द्वारा लिखित एक विचारोत्तेजक पुस्तक है, जो योग के सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डालती है। यह पुस्तक योग को केवल व्यक्तिगत साधना तक सीमित न रखते हुए, उसे समाज में संतुलन, नैतिकता और सामूहिक उत्थान के साधन के रूप में प्रस्तुत करती है। लेखक ने योग के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभों के साथ-साथ इसके सामाजिक प्रभावों का भी गहन विश्लेषण किया है, जिससे यह पुस्तक आधुनिक समाज में योग की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
Yog - ek samajik anirvaryata
₹65.00Price
H.V. SHeshadri
