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योग - एक सामाजिक अनिवार्यता हो.वे. शेषाद्रि द्वारा लिखित एक विचारोत्तेजक पुस्तक है, जो योग के सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डालती है। यह पुस्तक योग को केवल व्यक्तिगत साधना तक सीमित न रखते हुए, उसे समाज में संतुलन, नैतिकता और सामूहिक उत्थान के साधन के रूप में प्रस्तुत करती है। लेखक ने योग के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभों के साथ-साथ इसके सामाजिक प्रभावों का भी गहन विश्लेषण किया है, जिससे यह पुस्तक आधुनिक समाज में योग की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

Yog - ek samajik anirvaryata

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  • H.V. SHeshadri

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राष्ट्रीय विचारांचा प्रचार आणि प्रसार या उद्देशाने शके १८९८, सन १९७६ मध्ये प्रकाशन संस्थेची स्थापना करण्यात आली. बालसाहित्य, संस्कारक्षम पुस्तके, सामाजिक, राष्ट्रीय, विज्ञान, शेती, पर्यावरण, योग, आरोग्य, संतसाहित्य, अर्थकारण, समरसता, चरित्रे,  कुटुंब प्रबोधन इत्यादी विषयावरील सुमारे ६५० ग्रंथ  आजवर भाविसाने प्रकाशित केले आहेत.

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