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युवकों को आवाहन डॉ. मोहन भागवत द्वारा लिखित एक प्रेरणादायक पुस्तक है, जिसमें उन्होंने युवाओं को अपनी शक्तियों, जिम्मेदारियों और राष्ट्र निर्माण में भूमिका के बारे में जागरूक किया है। इस पुस्तक में डॉ. भागवत ने भारतीय संस्कृति, मूल्य और आदर्शों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया है, ताकि युवा अपनी क्षमता को पहचानकर समाज और देश के लिए उपयोगी बन सकें। वे युवाओं से यह आह्वान करते हैं कि वे अपने जीवन में अनुशासन, कर्मठता और समर्पण को स्थान दें, ताकि वे राष्ट्र के निर्माण में सकारात्मक योगदान दे सकें। यह पुस्तक युवाओं के लिए एक मार्गदर्शिका के रूप में कार्य करती है, जो उन्हें अपनी जिम्मेदारी और उद्देश्य को समझने में मदद करती है।

yuvakon ko aavaahan

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  • डॉ.मोहन भागवत

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राष्ट्रीय विचारांचा प्रचार आणि प्रसार या उद्देशाने शके १८९८, सन १९७६ मध्ये प्रकाशन संस्थेची स्थापना करण्यात आली. बालसाहित्य, संस्कारक्षम पुस्तके, सामाजिक, राष्ट्रीय, विज्ञान, शेती, पर्यावरण, योग, आरोग्य, संतसाहित्य, अर्थकारण, समरसता, चरित्रे,  कुटुंब प्रबोधन इत्यादी विषयावरील सुमारे ६५० ग्रंथ  आजवर भाविसाने प्रकाशित केले आहेत.

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